शिक्षा एक ऐसी दवा के भांति है जो हमारे आतंरिक एवं मानसिक कष्टों को को दूर करती है। शिक्षक एवं विद्यालय उस उत्प्रेरक के सामान है जो उनकी गति को निर्धारित करते है। हमारा मानना यह है की हर एक बचा किसी न किसी क्षेत्र में श्रेष्ठ होता है बस जरुरत है उसे अवगत करने की। जो विद्यालय के माहौल में संभव है जिससे वह अपना रास्ता निर्धारित करता है अगर रास्ता निर्धारित नहीं हुआ तो वह अपना रास्ता स्वयं बना लेगा। कहते है न " जिन्दा रख दिल में उम्मीदों को गरल के समुन्दर से भी अमृत जल निकलेगा, जो आज है थमथमा सा वो कल चल निकलेगा।" वह जरुरत है सही मार्ग एवं धैर्य की क्योंकि एक विद्यार्थी, एक कलम, एक कॉपी, एक शिक्षक के पास पूरी दुनिया बदलने की शक्ति होती है। धन्यवाद्।
Mrs. Arunima Gupta
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